1. "इंकलाब जिंदाबाद!" 

यह भगत सिंह का सबसे प्रसिद्ध नारा है, जिसका अर्थ है "क्रांति जिंदाबाद!"। यह नारा उन्होंने 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली की केंद्रीय विधान सभा में बम फेंकने के दौरान दिया था। यह नारा भारतीयों को अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति के लिए प्रेरित करने का एक शक्तिशाली आह्वान था।

2. "सरफरोशी की तमन्ना है मेरे दिल में, यह मिट्टी मेरी मां है, ये फूल मेरे बच्चे हैं।"

यह नारा भगत सिंह ने लाहौर जेल में लिखा था। यह भारत के प्रति उनके प्रेम और बलिदान के लिए उनकी तैयारियों को दर्शाता है।

3. "मैं अपना खून आज़ादी की वेदी पर न्यौछावर कर दूंगा, और मेरी मिट्टी मेरे खून से लाल हो जाएगी।"

यह नारा भी भगत सिंह ने लाहौर जेल में लिखा था। यह स्वतंत्रता के लिए उनके दृढ़ संकल्प और उनके देश के लिए बलिदान की भावना को दर्शाता है।

4. "मेरे खून का एक-एक कतरा इंकलाब की मशाल बनेगा।"

यह नारा भी भगत सिंह ने लाहौर जेल में लिखा था। यह क्रांति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और उनके विश्वास को दर्शाता है कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।

5. "बम और पिस्तौल क्रांति नहीं लाते, क्रांति विचारों से आती है।"

यह नारा भगत सिंह की क्रांति की समझ को दर्शाता है। उनका मानना था कि क्रांति केवल हिंसा से नहीं, बल्कि विचारों और विचारधारा में बदलाव से लाई जा सकती है।

6. "अगर बहरे को सुनना है, तो आवाज बहुत तेज होनी चाहिए।"

यह नारा भगत सिंह के सामाजिक परिवर्तन लाने के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। उनका मानना था कि यदि समाज में सकारात्मक बदलाव लाना है, तो उसे कठोर और दृढ़ कार्रवाई करनी होगी।

7. "मैं एक इंसान हूं और जो कुछ भी इंसानों को प्रभावित करता है, वह मुझे भी प्रभावित करता है।"

यह नारा भगत सिंह की मानवतावाद की भावना को दर्शाता है। उनका मानना था कि सभी मनुष्य समान हैं और सभी को समान अधिकार और अवसर प्राप्त होने चाहिए। 

8. "क्रांति एक अविभाज्य अधिकार है, स्वतंत्रता एक अविनाशी जन्मसिद्ध अधिकार है।"

यह नारा भगत सिंह के क्रांति और स्वतंत्रता के प्रति गहरे विश्वास को दर्शाता है। उनका मानना था कि ये दोनों अधिकार मनुष्य के जन्मसिद्ध अधिकार हैं और इनके लिए लड़ना हर व्यक्ति का कर्तव्य है। 

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